घ्राणहानि या अघ्राणता (Anosmia) की अवस्था में गंध की अनुभूति में न्यूनता, अथवा पूर्ण रूप से अभाव, हो जाता है।
गंध का अनुभव मनुष्य नाक के द्वारा करता है। मस्तिष्क से आरंभ होकर नासास्नायु का जोड़ा नाक की श्लेष्मिक कला तथा घ्राणकोशिका में जाकर समाप्त होता है। यह स्नायु संवेदनशील होती है। गंध से उत्तेजित होकर यह संवेदना को मस्तिष्क के केंद्रों तक पहुंचाती है। इस प्रकार हम सुगंध, या दुर्गंध, का अनुभव करते हैं।
घ्राणेंद्रियों में किसी प्रकार का दोष उत्पन्न हो जाने से घ्राणहानि का अनुभव होने लगता है। नासागत ...
विकिपीडिया में अधिक पढ़ेंएक लक्षण या बीमारी टाइप करें और जड़ी-बूटियों के बारे में पढ़ें जो मदद कर सकती हैं, एक जड़ी बूटी टाइप करें और बीमारियों और लक्षणों को देखें जिनके खिलाफ इसका उपयोग किया जाता है।
* सभी जानकारी प्रकाशित वैज्ञानिक शोध पर आधारित है