गोजर काटता है। इसके पैरों के प्रथम जोड़े विषदंत का कार्य करते हैं। यह दंशस्थान पर चिपक जाते हैं। इन्हें हटाना कठिन होता है। इसके विष का प्रभाव समस्त शरीर पर पड़ता है। दंश्स्थान पर वेदना और शोथ होता है। चक्कर आने लगता है। वमन तथा सिर दर्द होने लगता है। वृश्चिकदंश की तरह इसका भी उपचार होता है।
प्राय: सभी मकड़ियों में विषग्रंथि होती है। इसके काटने पर दंशस्थान पर लाल उभार दिखाई पड़ता है, मांसपेशियों में सकोच होता है, जिससे पेट में ऐंठन, नाड़ीगति में तीव्रता अथवा चमड़े पर छाले निकल आते हैं। नाड़ीमूल के ...
विकिपीडिया में अधिक पढ़ेंएक लक्षण या बीमारी टाइप करें और जड़ी-बूटियों के बारे में पढ़ें जो मदद कर सकती हैं, एक जड़ी बूटी टाइप करें और बीमारियों और लक्षणों को देखें जिनके खिलाफ इसका उपयोग किया जाता है।
* सभी जानकारी प्रकाशित वैज्ञानिक शोध पर आधारित है