जई एक फसल है। इसका उपयोग अनाज, पशुओं के दाने तथा हरे चारे के लिए होता है।
भारत में जई की जातियाँ मुख्यत: ऐवना सटाइवा (Avena sativa) तथा ऐवना स्टेरिलिस (A. sterilis) वंश की हैं। यह भारत के उत्तरी भागों में उत्पन्न होती हैं।
जई की खेती के लिये शीघ्र पकनेवाली खरीफ की फसल काटने के बाद चार-पाँच जोताइयाँ करके, 125-150 मन गोबर की खाद प्रति एकड़ देनी चाहिए। अक्टूबर-नवंबर में 40 सेर प्रति एकड़ की दर से बीज बोना चाहिए। इसकी दो बार सिंचाई की जाती है। हरे चारे के लिये दो बार कटाई, जनवरी के आंरभ तथा फरवरी में, ...
एक लक्षण या बीमारी टाइप करें और जड़ी-बूटियों के बारे में पढ़ें जो मदद कर सकती हैं, एक जड़ी बूटी टाइप करें और बीमारियों और लक्षणों को देखें जिनके खिलाफ इसका उपयोग किया जाता है।
* सभी जानकारी प्रकाशित वैज्ञानिक शोध पर आधारित है